बात यें है कि हम खुद से खफा हैं होते भी क्यों ना मुझे यें राहें जो गुमशुदा हैं !! देखते भी क्या कभी खुशियों की जानिब हम निशाने हीं फ़क़त वक़्त-ए-गिराँ हैं !! टुकड़े टुकड़े ज़िन्दगी बिखरी रही बस अपनी किस्मत में लिखे ग़म के निशाँ हैं !! यक़-ब-यक़ हमको हुआ महसूस ऐसा दिल अकेला है ग़मों के कारवां हैं ।। #खुद_की_अल्फ़ाज