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बारिश नहीं यह बादलों की, आहो-ज़ारी है। रोता हुआ य

बारिश नहीं यह बादलों की,  आहो-ज़ारी है।
रोता हुआ ये आसमान , सब पर भारी है।
खिल रहे हैं फूल, इन्हें कुछ पता नहीं,
इन् पर तो अपनी ख़ुशबुओं का जोश तारी है।

 नमस्कार लेखकों! ✨

अप्रैल का महीना कविता लेखन के लिए मशहूर है इसलिए इस महीने में हम आपको रोज़ एक विषय देंगे जिस पर आपको अपनी काव्य की संरचना करनी है।

हमारा आज का #rznapowrimoh19 के साथ collab करें और अपने शब्दों द्वारा कविता अभिव्यक्ति कर मौका पाएं रेस्ट ज़ोन से एक ख़ास टेस्टीमोनियल पाने का! ❤️

समय सीमा : 20 अप्रैल, सुबह 9:30 बजे तक।
बारिश नहीं यह बादलों की,  आहो-ज़ारी है।
रोता हुआ ये आसमान , सब पर भारी है।
खिल रहे हैं फूल, इन्हें कुछ पता नहीं,
इन् पर तो अपनी ख़ुशबुओं का जोश तारी है।

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नमस्कार लेखकों! ✨ अप्रैल का महीना कविता लेखन के लिए मशहूर है इसलिए इस महीने में हम आपको रोज़ एक विषय देंगे जिस पर आपको अपनी काव्य की संरचना करनी है। हमारा आज का #rznapowrimoh19 के साथ collab करें और अपने शब्दों द्वारा कविता अभिव्यक्ति कर मौका पाएं रेस्ट ज़ोन से एक ख़ास टेस्टीमोनियल पाने का! ❤️ समय सीमा : 20 अप्रैल, सुबह 9:30 बजे तक। #YourQuoteAndMine #NAPOWRIMO #yqrestzone #collabwithrestzone #rzhindi #rznapowrimo22