हर गजल अच्छी लिखूँ,ऐसा भी मैं शायर नहीं, हर गजल में प्यार लिखूँ,ऐसा भी मैं शायर नहीं, मैं लिखता हूँ जो लफ्ज़, वो दर्द बन जाते हैं, लेकिन हर दर्द का भी मैं तलबगार नहीं।। #अंकित सारस्वत# #शायरी