न यहाँ रहा न वहाँ रहा। न पता मुझे कि कहाँ रहा। न हुआ प्रसन्न कभी कहीं, न मिला सुकून जहाँ रहा। #मुक्तक #मैं_कहाँ_हूँ #विश्वासी 11212 11212