किस काम के संबंध सारे अवसर पर प्रकट ना हो जैसे गुलाब की सुंदरता बिन ख़ुशबू के अधूरी हो किसी काम के कसमें-वादे तकरार पर जो धराशायी हों जैसे मिट्टी का कच्चा घड़ा बारिश में झट गल-गल बहे किस काम का प्रेम-प्यार जो प्रिय को सम्मान ना दे जैसे पत्तों को वृक्ष गिरा दे सूखापन आते ही उनमें किस काम के बड़े बने सब जो दूसरों के काम ना आये जैसे अथाह विशाल समुन्द्र पीने में ख़ारा स्वाद दे जाये किस काम के हैं लोग अगर काम न आएं। #किसकामके #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi