झूठ बोलना एक बीमारी है इससे त्रस्त दुनिया सारी है जिसको झूठ बोलने की आदत है उसकी समझो लाचारी है। इस बीमारी का कोई हल नहीं है इसकी किसी दवा का कोई फल नहीं है सिर्फ पप्पू टप्पू तक ही नहीं है सीमित ट्रंप के आधे दावों में भी कोई बल नहीं है मक्खी को भी हाथी कर दें और हाथी को यह मक्खी टीआरपी वाले झुट्ठों ने तो तथ्यों की भी ऐसी तैसी कर दी। (पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) वैसे तो यह हर युग की समस्या रही है लेकिन वर्तमान समय में जिस तरह से लोकतंत्र के चारों स्तंभ में एक भी स्तंभ बिना किसी पूर्वाग्रह के काम नहीं कर रहे और अपने छुद्र हितों को पूरा करने के लिए किसी भी स्तर तक जा रहे है, झूठ परोस रहे हैं, झूठे दावे और झूठे केस कर रहे हैं,यह बहुत ही दुखद है हमारे लोकतंत्र के लिए। सामान्य जन का विश्वास नेताओं से तो उठ ही गया था,अब बाकी सब से भी उठ रहा है।उसी पर एक कविता... झूठ बोलना एक बीमारी है इससे त्रस्त दुनिया सारी है जिसको झूठ बोलने की आदत है उसकी समझो लाचारी है। इस बीमारी का कोई हल नहीं है