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चाय का स्वाद, चाय का स्वाद सदा कड़वा लगा है मुझे, प

चाय का स्वाद, चाय का स्वाद सदा कड़वा लगा है मुझे,
पर इस कड़वेपन ने ही खींचा है मुझे,
लिखती सकती है कलम हर घूंट पर कुछ,
हर घूंट लिखने की कशिश दे जाता है मुझे। 

वो पीते हैं चाय भाप पर उंगली घुमाते हुए,
पीते पीते घण्टो सोचते है शायद हमको,
सोच कर ये दिल खींचा सा जाता है,,
ये चाय का कसैला स्वाद लुभाता है मुझे।

हाँ मैं नहीं पीती मुझे कड़वी लगी है ये चाय,
मगर ये चाय से उठती भाप छूती है मुझे,
न जाने क्या कसक है ओ चाय तुझमें,
जो मेरा महबूब लबों से लगाता है तुझे।

©सखी #चाय #कशिश #कलम #महबूब #स्वाद #एहसास
चाय का स्वाद, चाय का स्वाद सदा कड़वा लगा है मुझे,
पर इस कड़वेपन ने ही खींचा है मुझे,
लिखती सकती है कलम हर घूंट पर कुछ,
हर घूंट लिखने की कशिश दे जाता है मुझे। 

वो पीते हैं चाय भाप पर उंगली घुमाते हुए,
पीते पीते घण्टो सोचते है शायद हमको,
सोच कर ये दिल खींचा सा जाता है,,
ये चाय का कसैला स्वाद लुभाता है मुझे।

हाँ मैं नहीं पीती मुझे कड़वी लगी है ये चाय,
मगर ये चाय से उठती भाप छूती है मुझे,
न जाने क्या कसक है ओ चाय तुझमें,
जो मेरा महबूब लबों से लगाता है तुझे।

©सखी #चाय #कशिश #कलम #महबूब #स्वाद #एहसास