मजबूरी के मजदूर है हम इसलिए मजबूर हैं हम ऐसे हम मजबूर नही होते है जनाब कुछ मजबूरिया मजबूर कर देती है मजबूर होने के लिए उन मजबूरियों से मजबूर होकर मजबूरी के मजदूर है हम। हेमराज जांगिड़ मजबूरी के मजदूर शायरी