कब आओगे तुम...? जैसे कली से अलग होते ही फूल मुरझा जाता है, भले ही खुशबू बरक़रार हो उसमें अभी तक, मेरे प्रेम के जैसे लेकिन मेरी सांसों की तरह वो भी खत्म होने पर है.... जानाँ तुम्हारी तड़प में मुरझा गया है सकून मेरा जैसे पतझड़ में सूखने लगते है समस्त वन..! तो आखिर अपने प्रेम से, कब तृप्त करोगे तुम मुझे...? #कब_आओगे_तुम 2 #love #तृप्त #जानाँ #yqhindi #yqdidi #soulfulshunya #मुक्तक