Nojoto: Largest Storytelling Platform

याद है तुम्हें? रात में उदास होकर, जब मैं दस बजह ह

याद है तुम्हें? रात में उदास होकर, जब मैं दस बजह ही, तुम्हें गुड़ नाईट कहकर फ़ोन का डेटा बंद कर देती थी। तुम झट से फ़ोन कॉल करते थे और कहानियाँ सुनाना शुरू कर देते थे। जान जाते थे कि मुझे दादी की बहुत याद आ रही है और जो ध्यान ना बटाया तो रोने लग जाऊंगी। 

  और कहानियां सुनते सुनते, मैं किसी सहमी बच्ची सी, फ़ोन पर ही सो जाती थी। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह से बचपन में दादी कहानियाँ सुनाया करतीं थीं और मैं निश्चिंत होकर, उनकी गोद में सिर रख कर सो जाया करती थी। याद है? कितनी फ़िक़्र किया करते थे तुम? कैसे तुम मेरी उदासी भाँप लिया करते थे।

  तुम्हारी कहानियाँ, मेरा सुकूँ थीं।

(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें)   याद है तुम्हें? रात में उदास होकर, जब मैं दस बजह ही, तुम्हें गुड़ नाईट कहकर फ़ोन का डेटा बंद कर देती थी। तुम झट से फ़ोन कॉल करते थे और कहानियाँ सुनाना शुरू कर देते थे। जान जाते थे कि मुझे दादी की बहुत याद आ रही है और जो ध्यान ना बटाया तो रोने लग जाऊंगी। 

  और कहानियां सुनते सुनते, मैं किसी सहमी बच्ची सी, फ़ोन पर ही सो जाती थी। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह से बचपन में दादी कहानियाँ सुनाया करतीं थीं और मैं निश्चिंत होकर, उनकी गोद में सिर रख कर सो जाया करती थी। याद है? कितनी फ़िक़्र किया करते थे तुम? कैसे तुम मेरी उदासी भाँप लिया करते थे।

  तुम्हारी कहानियाँ, मेरा सुकूँ थीं।

  तुम्हारा वो जन्मदिन याद है? २०१३ वाला? जब बारह बजे तुम्हें विश करके सो गई थी मैं। सुबह उठके मैसेज देखे, तो तुम्हारा ही पयाम था,'रुक जाती तुम, तुम्हारे साथ ये रात, बातें करते, काटना चाह रहा था।'
याद है तुम्हें? रात में उदास होकर, जब मैं दस बजह ही, तुम्हें गुड़ नाईट कहकर फ़ोन का डेटा बंद कर देती थी। तुम झट से फ़ोन कॉल करते थे और कहानियाँ सुनाना शुरू कर देते थे। जान जाते थे कि मुझे दादी की बहुत याद आ रही है और जो ध्यान ना बटाया तो रोने लग जाऊंगी। 

  और कहानियां सुनते सुनते, मैं किसी सहमी बच्ची सी, फ़ोन पर ही सो जाती थी। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह से बचपन में दादी कहानियाँ सुनाया करतीं थीं और मैं निश्चिंत होकर, उनकी गोद में सिर रख कर सो जाया करती थी। याद है? कितनी फ़िक़्र किया करते थे तुम? कैसे तुम मेरी उदासी भाँप लिया करते थे।

  तुम्हारी कहानियाँ, मेरा सुकूँ थीं।

(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें)   याद है तुम्हें? रात में उदास होकर, जब मैं दस बजह ही, तुम्हें गुड़ नाईट कहकर फ़ोन का डेटा बंद कर देती थी। तुम झट से फ़ोन कॉल करते थे और कहानियाँ सुनाना शुरू कर देते थे। जान जाते थे कि मुझे दादी की बहुत याद आ रही है और जो ध्यान ना बटाया तो रोने लग जाऊंगी। 

  और कहानियां सुनते सुनते, मैं किसी सहमी बच्ची सी, फ़ोन पर ही सो जाती थी। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह से बचपन में दादी कहानियाँ सुनाया करतीं थीं और मैं निश्चिंत होकर, उनकी गोद में सिर रख कर सो जाया करती थी। याद है? कितनी फ़िक़्र किया करते थे तुम? कैसे तुम मेरी उदासी भाँप लिया करते थे।

  तुम्हारी कहानियाँ, मेरा सुकूँ थीं।

  तुम्हारा वो जन्मदिन याद है? २०१३ वाला? जब बारह बजे तुम्हें विश करके सो गई थी मैं। सुबह उठके मैसेज देखे, तो तुम्हारा ही पयाम था,'रुक जाती तुम, तुम्हारे साथ ये रात, बातें करते, काटना चाह रहा था।'
drg4424164151970

Drg

New Creator