ख्वाबों का, रंगीन होना गुनाह है; इंसान का, ज़हीन होना गुनाह है! कायरता समझते हैं लोग, मधुरता को; ज़ुबान का, शालीन होना गुनाह है! खुद की ही, लग जाती है नज़र; हसरतों का, हसीन होना गुनाह है! लोग इस्तेमाल करते हैं, नमक की तरह; आंसुओं का, नमकीन होना गुनाह है! दुश्मनी हो जाती है, मुफ्त में सैंकड़ों से; इंसान का, बेहतरीन होना गुनाह है ।।