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ख्वाबों का, रंगीन होना गुनाह है; इंसान का, ज़हीन ह

ख्वाबों का, रंगीन होना गुनाह है;
इंसान का, ज़हीन होना गुनाह है!
कायरता समझते हैं लोग, मधुरता को;
ज़ुबान का, शालीन होना गुनाह है!
खुद की ही, लग जाती है नज़र;
हसरतों का, हसीन होना गुनाह है!
लोग इस्तेमाल करते हैं, नमक की तरह;
आंसुओं का, नमकीन होना गुनाह है!
दुश्मनी हो जाती है, मुफ्त में सैंकड़ों से;
इंसान का, बेहतरीन होना गुनाह है ।।
ख्वाबों का, रंगीन होना गुनाह है;
इंसान का, ज़हीन होना गुनाह है!
कायरता समझते हैं लोग, मधुरता को;
ज़ुबान का, शालीन होना गुनाह है!
खुद की ही, लग जाती है नज़र;
हसरतों का, हसीन होना गुनाह है!
लोग इस्तेमाल करते हैं, नमक की तरह;
आंसुओं का, नमकीन होना गुनाह है!
दुश्मनी हो जाती है, मुफ्त में सैंकड़ों से;
इंसान का, बेहतरीन होना गुनाह है ।।
pawanbansal1244

Pawan Bansal

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