" तमाशा है हर तरफ..... " तमाशा है हर तरफ, या तमाशे में मैं हूँ, गुजर चुका हूँ अब तलक, या गुज़रने की चाह में मैं हूँ... क्या गौर से देख रही है दुनियां सिर्फ मुझे, या ख़ुद मैं ही किसी और कि फ़िराक में हूँ... बदल गई जो हक़ीक़तें इस जहां की मेरी, या यूँही किसी नए झूठ के ख़्याल में मैं हूँ... ये नुक्कड़,गलियां, क्या मेरे लिए भरे है लोगों से लबालब, या मैं भी इसी भीड़ के उन तन्हा किनारों में हूँ... बड़ी तहज़ीब से पेश आ रहें है आज मुझसे ये लोग यहां, या मैं बेवजह ही इस ख़ुशनसीबी के ख़्वाबों में हूँ... तमाशा है हर तरफ, या तमाशे में मैं हूँ, गुजर चुका हूँ अब तलक, या गुज़रने की चाह में मैं हूँ...!! #urdu #poetry #nojoto