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तुझे छुने को सावन तरसे, ऐ ख़ुदा मदिरा बरसे.

तुझे छुने को सावन तरसे,
ऐ    ख़ुदा    मदिरा  बरसे.

ये   लब भी   गुलाबी हुए,
सारे  शायर   शराबी  हुए,
अनपढ़   थे   जो   लड़के,
तुझे पी  के  किताबी हुए.

तू चढ़ती है तो चढ़ सर से,
ऐ    ख़ुदा    मदिरा  बरसे.

अब  हूज़ूर  बस नाम  के,
सारे    मोहरे   गुलाम  के,
जो तुझे जाने वो सिकंदर,
जो ना समझे, नाकाम के.

मैं बहुत  दूर आया घर से,
ऐ    ख़ुदा    मदिरा  बरसे. मदिरा बरसे
तुझे छुने को सावन तरसे,
ऐ    ख़ुदा    मदिरा  बरसे.

ये   लब भी   गुलाबी हुए,
सारे  शायर   शराबी  हुए,
अनपढ़   थे   जो   लड़के,
तुझे पी  के  किताबी हुए.

तू चढ़ती है तो चढ़ सर से,
ऐ    ख़ुदा    मदिरा  बरसे.

अब  हूज़ूर  बस नाम  के,
सारे    मोहरे   गुलाम  के,
जो तुझे जाने वो सिकंदर,
जो ना समझे, नाकाम के.

मैं बहुत  दूर आया घर से,
ऐ    ख़ुदा    मदिरा  बरसे. मदिरा बरसे
itba1773705858770

writer abhay

New Creator

मदिरा बरसे