ना जानें कितनें ज़ख़्म दिल के दिल में ही पिघल जाते हैं।। अश्क़ जब बेहते नहीं आँखों में ही ठहर जाते हैं।। कुछ कहते नहीं किसी से बन के नासूर दिल में ही उतर जाते हैं।। ना जानें कितनें ज़ख़्म दिल के दिल में ही पिघल जाते हैं।। अनु #शफ़क़✒️ 10/09/2018. #ना जानें...........! ना जानें कितनें ज़ख़्म दिल के दिल में ही पिघल जाते हैं।। अश्क़ जब बेहते नहीं आँखों में ही ठहर जाते हैं।।