"धीरे धीरे से मेरे जिन्दगी मे आकर, कुछ अनकही सी कहानी सुनाकर, जिन्दगी को अधूरा सा कर गया वो, बिन बतायें चुपचाप अपना बनाकर। कितने ही सुहाने सपने दिखाये उसने, मेरी कई रातो की सारी नींदे चुराकर। ये इश्क की शरगर्मियों इतनी बढ़ी कि, भुल गया खु़द को ही उसका बनाकर। मेरी नब्ज मे शामिल था खून बनकर, फिर गये मुझे खून के आसूँ रूलाकर। मेरा होना नही जरूरी होगा तेरे खातिर, मेरे खातिर तुझे मेरी जिन्दगी बनाकर। #धीरे_धीरे #अनुपप_अनूप"भारत"