#कन्या आज कविता बहुत ही खुश हैं सुबह पाँच बजे ही उठ गई।आज नवमी जो है आज कन्याओं को खाना खिलाना है।वो जल्दी-जल्दी सारे निपटाने की कोशिश कर रही थी। अपार्टमेंट में रहने वाले सभी लोग आज कन्याओं को भोजन करवाएंगे इसलिए उसने सोचा मैं सबसे पहले कन्याओं को भोजन करवा देती हूँ नहीं तो पिछली बार की तरह कन्याएँ इधर-उधर चली जाएंगी और ढूंढे ही नहीं मिलेंगी वैसे भी आस-पास में रहने वाली औऱ कामवालियों की लड़कियों को मिलाकर कुल 8-10 लड़कियाँ ही याद आ रही थीं उसे। कविता लड़कियों को बुलाने के लिए नीचे उतर कर आई तो रास्ते मे चार पाँच लड़कियाँ मिली। उन सबको साथ मे लेकर वो सामने ही काम करने वाली सावित्री के कमरे पर गई।और कहा '"सावित्री आज तुम्हारी बिटिया नहीं दिखाई दे रही।" सावित्री की आँखों से आँसू बह निकले तभी उसकी पाँच साल की बड़ी बेटी बाहर आ गई और बोली " वो शिखा आंटी मेरी छोटी बहन को नहीं ले जा रही थी न इसलिए मम्मी ने मुझे भी नहीं भेजा।" कविता ने सावित्री को चुप करवाकर छोटी बेटी को न ले जाने का कारण पूछा तो सावित्री के सारे जख्म हरे हो गए वो फूट पड़ी और बोली "मेडम जी वो कहती हैं कि मेरी छोटी बिटिया अब कन्या नहीं रही।" कविता ने अपने हाथों से उसके आँसू पौंछे और उसकी तीन साल की छोटी बेटी को गोदी में लेकर बड़ी बेटी का हाथ पकड़ कर उसे भी जबदस्ती साथ चलने को कहा और बोली "पागल है वो लोग जो ऐसा सोचते हैं,आज इस कन्या को एक कोर भोजन करवा कर मैं ऐसे दोहरे चरित्र वाले लोगों के खिलाफ अभियान छेड़ती हूँ जो एक तरफ तो पीड़ितों के लिए इंसाफ मांगते हैं दूसरी तरफ इनके जख्म कुरेदते हैं उफ्फ्फ.." #सुनीता बिश्नोलिया© कन्या