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कभी अपनों से, तो कभी बेगानों से, कभी राह चलते में

कभी अपनों से, तो कभी बेगानों से, 
कभी राह चलते में, तो कभी घर की बालकनी में, 

मगर उन नजरों का क्या करें? 
जो सिर्फ़ हम पर आकर टीकी हैं...! 
 सुप्रभात।
हम दुनिया को दूसरों की नज़र से क्यों देखें,
आख़िर हमें भी तो नज़र मिली है।
#अपनीनज़र #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#yourquotedidi 
#168thquote
कभी अपनों से, तो कभी बेगानों से, 
कभी राह चलते में, तो कभी घर की बालकनी में, 

मगर उन नजरों का क्या करें? 
जो सिर्फ़ हम पर आकर टीकी हैं...! 
 सुप्रभात।
हम दुनिया को दूसरों की नज़र से क्यों देखें,
आख़िर हमें भी तो नज़र मिली है।
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