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मन मे उठी वेदनाओं का ये कैसा झँकृत सा शोर है, मिट

मन मे उठी वेदनाओं का ये कैसा झँकृत सा शोर है,
मिट गया मानो जगत का  उजियारा कहीं न भोर है,
ख़ौफ  दिल की चौखट  को लांघ कोसों दूर  जा रहा,
कोई रोको,रोके से न रुके कोलाहल मचा चहुँओर है।
 👉🏻 प्रतियोगिता- 233

 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"दिल की चौखट"🌹 

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
मन मे उठी वेदनाओं का ये कैसा झँकृत सा शोर है,
मिट गया मानो जगत का  उजियारा कहीं न भोर है,
ख़ौफ  दिल की चौखट  को लांघ कोसों दूर  जा रहा,
कोई रोको,रोके से न रुके कोलाहल मचा चहुँओर है।
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