हमारे शेर सुन कर भी जो खामोश इतना है खुदा जाने गुरूर-ए-हुस्न में मदहोश कितना है किसी प्याले से पुछा है सुराही मैं सबब में का जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये के होश कितना है..