तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है,
मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है...!
हमने खुद देखा है पीपल की छाँव में वक्त को ठहरते हुए,
यहाँ के जर्रे-जर्रे का रुतबा नवाबी है...!
इक जमाने से सबने भरम पाल रखा है, कि वादियों ने नजारों को संभाल रखा है,
हवा भी अठखेलियाँ करती हैं बारिश की बूँदों से, यहाँ की फिज़ाओं ने बादलों को भी उलझन में डाल रखा है...!
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