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तिनके तिनके से बिखरते चले गए तनहाई की गहराई में उ

तिनके तिनके से बिखरते चले गए 
तनहाई की गहराई में उतारते चले गए
जन्नत थी जिन दोस्तों के साथ
एक एक करके सब बिछड़ते चले गए।
anilshukla5967

Anil Shukla

New Creator

तिनके तिनके से बिखरते चले गए तनहाई की गहराई में उतारते चले गए जन्नत थी जिन दोस्तों के साथ एक एक करके सब बिछड़ते चले गए।

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