जो भी चाहा मिला नहीं अब; क्या क्या कमी गिनाऊँ। मिले ख़ुशी अंतर्मन को, किस दर पर शीश झुकाऊँ॥ मन की विपदा, ले के आया; तेरे आँगन एक सवाली। मेरी विपदा, भी हर लो माँ; हे जग के दुःख हरने वाली॥ छाया, माया सब तुझसे है; बालक पर अपना कर धर दे। इस नवरात्र, यही चाहूँ माँ; नव वर से मेरी झोली भर दे॥ ✍🏻@raj_sri #goddess #navratri #durgapuja #yqdidi #yqbaba