हया में छुपी मोहब्बत को तेरी, मैं बख़ूबी पहचानता हूँ। तेरी दिलकश हर अदा को, मैं अपना क़ातिल मानता हूँ। तेरे होंठों की सुर्ख लाली, चुराती है दिल का क़रार मेरा। ज़ुल्फों के घनेरे बादल को, मैं अपना क़ातिल मानता हूँ। झुकी नज़रों से जो तुम अब ये इश्क़ का खेल खेलती हो। आँखों के प्यारे काजल को, मैं अपना क़ातिल मानता हूँ। कोयल सी मीठी बोली तेरी, दिल को दीवाना बनाती है। लफ़्ज़ों के इस जंजाल को, मैं अपना क़ातिल मानता हूँ। तेरी पायल की झंकार ये, मेरे दिल पे कहर बरपाती है। तेरी हिरणी जैसी चाल को, मैं अपना क़ातिल मानता हूँ। ♥️ Challenge-717 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।