अल्फ़ाज़ कभी न बदलना चाहे यह दुनिया बदल जाए। जज़्बात-ए-दिल कभी न तोड़ना, चाहे यह जग छूट जाए।। आज तुम अगर बदल गए, इस झूठे दुनिया में, कल तुम्हें बदलने आएंगे , खुद रहने वाले मुखौटों मैं ।। वक़्त आज शायद तुम्हारा नहीं, रूठ जो गया है तुम से। यह शायद वह काबिल-ए-इंसान नहीं, जो राह बदल दिया है सच्चाई से।। तूफ़ान-ए-दरिया में आज तुम तैर रहे हो, कल कोई और डूब रहा होगा। आज जो तुम्हें थामना मुनासिब न समझा, कल तुम्हें वह कारवां गुज़ारिश कर रहा होगा।। दामन पकड़ जो लिया है, छोड़ना कभी नहीं।। सच्चाई है दिल-ए-हसरत की, चाहे पत्थर हो या कांटा राह बदलना नहीं।। ©BINOदिनी #sachhai