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अल्फ़ाज़ कभी न बदलना चाहे यह दुनिया बदल जाए। जज़्बात-

अल्फ़ाज़ कभी न बदलना
चाहे यह दुनिया बदल जाए।
जज़्बात-ए-दिल कभी न तोड़ना,
चाहे यह जग छूट जाए।।
आज तुम अगर बदल गए,
इस झूठे दुनिया में,
कल तुम्हें बदलने आएंगे ,
खुद रहने वाले मुखौटों मैं ।।
वक़्त आज शायद तुम्हारा नहीं,
रूठ जो गया है तुम से।
यह शायद वह काबिल-ए-इंसान नहीं,
जो राह बदल दिया है सच्चाई से।।
तूफ़ान-ए-दरिया में आज तुम तैर रहे हो,
कल कोई और डूब रहा होगा।
आज जो तुम्हें थामना मुनासिब न समझा,
कल तुम्हें वह कारवां गुज़ारिश कर रहा होगा।।
दामन पकड़ जो लिया है,
छोड़ना कभी नहीं।।
सच्चाई है दिल-ए-हसरत की,
चाहे पत्थर हो या कांटा राह बदलना नहीं।।

©BINOदिनी #sachhai
अल्फ़ाज़ कभी न बदलना
चाहे यह दुनिया बदल जाए।
जज़्बात-ए-दिल कभी न तोड़ना,
चाहे यह जग छूट जाए।।
आज तुम अगर बदल गए,
इस झूठे दुनिया में,
कल तुम्हें बदलने आएंगे ,
खुद रहने वाले मुखौटों मैं ।।
वक़्त आज शायद तुम्हारा नहीं,
रूठ जो गया है तुम से।
यह शायद वह काबिल-ए-इंसान नहीं,
जो राह बदल दिया है सच्चाई से।।
तूफ़ान-ए-दरिया में आज तुम तैर रहे हो,
कल कोई और डूब रहा होगा।
आज जो तुम्हें थामना मुनासिब न समझा,
कल तुम्हें वह कारवां गुज़ारिश कर रहा होगा।।
दामन पकड़ जो लिया है,
छोड़ना कभी नहीं।।
सच्चाई है दिल-ए-हसरत की,
चाहे पत्थर हो या कांटा राह बदलना नहीं।।

©BINOदिनी #sachhai