रात यूंही गुजरती रही उसके आने से महकती रहीं सितारों की तरह मुलाकात चमकती रहीं दुर कर ज़माने की बंदिशें दिन की चौखट लांघ कर आईं थीं बसा कर दिल में उसे, एकांत में वो अपने चांद से मिलने आईं थीं रात के अंधेरे में मन पंछी सा बन , दिएं सा रोशन हुआ वो एक मुलाकात चांद सी, चांद से चांदनी कर आईं