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हमने जब उस चाँद को देखा चाँद के आसपास कोई न था चा

हमने जब उस चाँद को देखा चाँद के आसपास कोई न था 
चाँद गहरी ख़ामोशी में खो गया मैं इन्तज़ार करता ही रहा ।
चाँद को हजारो सितारे मिले, ख़्वाबों में मैं तड़पता ही रहा 
चाँद को इक चाँदनी भी मिली सितारों के संग चमकता रहा ।
तिज़ारत बनाके मुहब्बत को ख़यालों में सबको ठगता रहा 
किनारे पे दिल मेरा तड़प तड़प के क़रीब उनको बुलाता रहा ।
इक चाँदनी के कारण ही चाँद क्यों नाम बदलकर मिलता रहा 
हमें हक़ीक़त की न कोई ख्वाहिश फिर भी अंधेरा बढ़ता गया ।
🌼 
 बज़्म ए इख़लास
हमने जब उस चाँद को देखा चाँद के आसपास कोई न था 
चाँद गहरी ख़ामोशी में खो गया मैं इन्तज़ार करता ही रहा ।
चाँद को हजारो सितारे मिले, ख़्वाबों में मैं तड़पता ही रहा 
चाँद को इक चाँदनी भी मिली सितारों के संग चमकता रहा ।
तिज़ारत बनाके मुहब्बत को ख़यालों में सबको ठगता रहा 
किनारे पे दिल मेरा तड़प तड़प के क़रीब उनको बुलाता रहा ।
इक चाँदनी के कारण ही चाँद क्यों नाम बदलकर मिलता रहा 
हमें हक़ीक़त की न कोई ख्वाहिश फिर भी अंधेरा बढ़ता गया ।
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 बज़्म ए इख़लास

बज़्म ए इख़लास