भटकती जिंदगी में भटकते सहारे भटकते भटकते कहां आ गए हैं पटकते पैरों की थापसे टपकते आंसू रास्तों कोे धोते जा रहे हैं यहां कोई नहीं है संग मेरे परछाई भी पीछे चली आ रही है भटकती जिंदगी में भटकते सहारे "माथे "की सिलवटें दिशा दिखा रही हैं #-गुडविन-#