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स्वच्छ धरा हो,स्वच्छ हो अंबर स्वच्छ हवा हो स्वच्छ

स्वच्छ धरा हो,स्वच्छ हो अंबर
स्वच्छ हवा हो स्वच्छ हो पानी
तूं भी जाने, मैं भी जानूं
मिलती है एक बार जिंदगानी
प्रदूषण मुक्त हो विश्व हमारा,
स्वस्थ हों पीढियां आगामी
पॉलिथीन,प्लास्टिक का यथासंभव
रुक जाए प्रयोग
नहीं रोक सके गर हम इनको,
आमंत्रित कर लेंगे नाना प्रकार के रोग
मातृभूमि के प्रति हमारी
है कुछ तो नैतिक जिम्मेदारी
बहुत सो लिए अब तो जागने की आ गई है बारी
जागरूकता की घंटी बजे अब हर चित में,
फिर होगी हर भोर सुहानी
स्वच्छ धरा हो स्वच्छ हो अंबर
स्वच्छ हवा हो स्वच्छ हो पानी
स्नेह प्रेमचंद

©Sneh Prem Chand
  स्वच्छ धरा हो स्वच्छ हो अंबर

स्वच्छ धरा हो स्वच्छ हो अंबर #कविता

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