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बेवक्त हुई बरसात हमपे उन जालिम नज़रों की जो काति

बेवक्त हुई बरसात हमपे 
उन जालिम नज़रों की 
जो कातिल तो खुद थे ।
मगर गुनहगार हमें बना गए।

मुस्कुराए कुछ यूं वो हमें देख कर 
जैसा बरसो का नता हो
ऐसा मंजर था वो 
जैसा मानो खुदा का यही इरादा हो ।

पाकर उनको लगा मानो 
बरसो से तड़पते दिल को आसार मिल गया।
सिमटने को बेताब था उनकी बाहों में
मानो मुझे मेरा पूरा जहां मिल गया।

अब तो आलम ए जिंदगी कुछ यूं है कि।
हम तब तक खुद को नजर नहीं आते है। जब तक वो हम्मे नजर नहीं आते है। #only_for_you_my_love
बेवक्त हुई बरसात हमपे 
उन जालिम नज़रों की 
जो कातिल तो खुद थे ।
मगर गुनहगार हमें बना गए।

मुस्कुराए कुछ यूं वो हमें देख कर 
जैसा बरसो का नता हो
ऐसा मंजर था वो 
जैसा मानो खुदा का यही इरादा हो ।

पाकर उनको लगा मानो 
बरसो से तड़पते दिल को आसार मिल गया।
सिमटने को बेताब था उनकी बाहों में
मानो मुझे मेरा पूरा जहां मिल गया।

अब तो आलम ए जिंदगी कुछ यूं है कि।
हम तब तक खुद को नजर नहीं आते है। जब तक वो हम्मे नजर नहीं आते है। #only_for_you_my_love