बेवक्त हुई बरसात हमपे उन जालिम नज़रों की जो कातिल तो खुद थे । मगर गुनहगार हमें बना गए। मुस्कुराए कुछ यूं वो हमें देख कर जैसा बरसो का नता हो ऐसा मंजर था वो जैसा मानो खुदा का यही इरादा हो । पाकर उनको लगा मानो बरसो से तड़पते दिल को आसार मिल गया। सिमटने को बेताब था उनकी बाहों में मानो मुझे मेरा पूरा जहां मिल गया। अब तो आलम ए जिंदगी कुछ यूं है कि। हम तब तक खुद को नजर नहीं आते है। जब तक वो हम्मे नजर नहीं आते है। #only_for_you_my_love