तारों की मेहफ़िल में कोई, चाँद जगमगाने लगता हैं हमको भी कोई दोस्त हमारा, याद आने लगता हैं डूब के उसके ख़्वाबो में, कुछ ऐसे मुस्कुराता हूँ जैसे बच्चा माँ को देख, मुस्कुराने लगता हैं वो आती हैं याद बनकर, और पास बैठ जाती हैं जब कोई शायर हमको, शेर सुनाने लगता हैं ज़िंदगी की ठोकरों से, 'रजनीश' कभी न रोया है बस एक तेरा झूठा वादा,उसे रुलाने लगता हैं 🖋🖋 दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar दोस्तों का दिन होता, दोस्तों से दिन होता है❣️❣️ #Bestfriendsday