टूटता तारा उम्मीदें कितनी लाता है कहीं पर कोई अपनी मन में छुपी मुरादे कोई किसी अपने को पाने की फरियादें आंखे बंद कर के मांगता है कोई रोशनी नई सी पा कर यू ही खुश हो जाता है कोई उसे अपना खोया हुआ मान कर दर्द के भवर में खो जाता है बस एक आसमान ही है जो हर रोज़ अपने शान की पहचान को खोने का ग़म बनता है टूटता तारा