जिम्मेदारियों के एहसासों तले दबे बैठा है यहाँ , ये समंदर कब से अपने पैर समेटे हुए ; तुम ही सोचो गर वो जरा सा मनचला हुआ ; तो किसी और का अस्तित्व बचेगा क्या यहाँ ! #जिम्मेदारियों #के #अहसास