कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती मौत का एक दिन मुअय्यन है नींद क्यों रात भर नहीं आती क्यों न चीखू कि याद करते है मेरी आवाज़ गर नहीं आती काबा किस मुँह से जाओगे ग़ालिब शर्म तुमको मगर नहीं आती ........... ? ©G0V!ND DHAkAD #Naumeed