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यूं तो राही मंजिल को पाने अकेला चला था रास्ते में

यूं तो राही मंजिल को पाने अकेला चला था 
रास्ते में बहुत से राही मिलते चले थे 
मंजिल को पाना इतना आसान नहीं था 
मंजिल को पाने के लिए अथक प्रयास करते थे 
साथ मिलकर राही आगे बढ़ते थे 
रास्ता बनता गया , मंजिल समीप आता गया और कारवां बनता गया  किसी शायर ने ख़ूब कहा है। 
मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंज़िल मगर 
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया..

मगर ये कारवां उस एक व्यक्ति की बदौलत नहीं बना है, कारवां लोगों की बदौलत है। योरकोट का कारवाँ जो 1 मिलियन को पार कर गया है। ये सब आप के प्रेम, स्नेह व त्याग की बदौलत है। 
आप सब का हृदय से धन्यवाद। 

आइये इस उपलब्धि का जश्न मनाएं। योरकोट से जुड़े अपने अनुभव लिखें।
यूं तो राही मंजिल को पाने अकेला चला था 
रास्ते में बहुत से राही मिलते चले थे 
मंजिल को पाना इतना आसान नहीं था 
मंजिल को पाने के लिए अथक प्रयास करते थे 
साथ मिलकर राही आगे बढ़ते थे 
रास्ता बनता गया , मंजिल समीप आता गया और कारवां बनता गया  किसी शायर ने ख़ूब कहा है। 
मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंज़िल मगर 
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया..

मगर ये कारवां उस एक व्यक्ति की बदौलत नहीं बना है, कारवां लोगों की बदौलत है। योरकोट का कारवाँ जो 1 मिलियन को पार कर गया है। ये सब आप के प्रेम, स्नेह व त्याग की बदौलत है। 
आप सब का हृदय से धन्यवाद। 

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anjalijha3075

Anjali Jha

New Creator