ग़ज़ल ००0०० तेरी याद जब भी आती है। मेरी नींद को ले जाती है। मरियम मैं तुझे कैसे बोलूँ। हर आहट मुझे तरपाती है। मेरे अश्क़ रोते हैं शब भर। शब हर रोज जख्म़ बनातीं है। तेरी याद दिल के जख्म़ों को। गीतों में सदा सज्'आती है। ©KUNDAN KUNJ #kavikundan #Kundanspoetry #kundankunj #SAD