दोस्तों और शहरों में एक अलग ही बात होती है कि वो हमको बहुत जल्द अपना लेते है,पर दोस्तों में एक खास बात और होती है वो आपके जाने के बाद भी आपके साथ रहते हैं पर शहर आपकी यादों के वर्षों वर्ष में कैद किए हुए पल को एक पल मे बेगाना बना देता है जब आप शहर छोड़ते है। जिस शहर को मैं अपना समझता था,आज उसी शहर में महिने भर में ही वापस आने पर वहीं शहर अब मुझे अजनबी निगाहों से घूर रहा हैं।ऐसा लग रहा है जैसे पुछ रहा हो अब यहाँ क्या काम तुम्हारा? जब एक शहर ने हमको अजनबी समझ लिया तो फिर कभी अगर दोस्तों ने भी अजनबी मान लिया किसी मोड़ पर तो हैरानी नहीं होगी। "शहर था मेरा जब तक मैं शहर में रहा तेरी यादों कि हर बुनियाद मेरे लहर में रहा जब से गया हूँ छोड़ के मेरे शहर को ये मेरा शहर अब तेरे पहर में रहा।" ©Sandeep Sagar #शहरऔरदोस्त #sagarkidiaryse #MereKhayaal