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#कृष्ण जन्म से पहले आँखों में ही कट रहे,माता के



#कृष्ण जन्म से पहले

आँखों में ही कट रहे,माता के दिन रैन।
भ्राता की माँ कैद में, जरा न पावै चैन।।

कान्ह जन्म की आस में,पुलकित माँ के नैन।
कानों में है पड़ रहे,दुष्ट कंस के बैन।

दुष्ट कंस के कारणे,बढ़ा संत-संताप।
विपद हरेंगे आय के,कृष्ण मुरारी आप।।

दिन-दिन बढ़ते जा रहे,जन पे अत्याचार।
दुष्टों का होगा दलन, मन में यही विचार।।

अन्न-नीर को त्याग कर,मन में लेकर आस।
हरने जग की पीड़ को,होगा शीघ्र उजास।।

आज दिवस ये खास है,हलचल कारागार।
मात देवकी तात वसु,बैठे असि की धार।।

चतुरंगिणी सेना खड़ी,कालकोठरी-द्वार।
आज आखरी पहर ही,लेंगे हरि अवतार।।
#सुनीता बिश्नोलिया©









 #nojoto poetry


#कृष्ण जन्म से पहले

आँखों में ही कट रहे,माता के दिन रैन।
भ्राता की माँ कैद में, जरा न पावै चैन।।

कान्ह जन्म की आस में,पुलकित माँ के नैन।
कानों में है पड़ रहे,दुष्ट कंस के बैन।

दुष्ट कंस के कारणे,बढ़ा संत-संताप।
विपद हरेंगे आय के,कृष्ण मुरारी आप।।

दिन-दिन बढ़ते जा रहे,जन पे अत्याचार।
दुष्टों का होगा दलन, मन में यही विचार।।

अन्न-नीर को त्याग कर,मन में लेकर आस।
हरने जग की पीड़ को,होगा शीघ्र उजास।।

आज दिवस ये खास है,हलचल कारागार।
मात देवकी तात वसु,बैठे असि की धार।।

चतुरंगिणी सेना खड़ी,कालकोठरी-द्वार।
आज आखरी पहर ही,लेंगे हरि अवतार।।
#सुनीता बिश्नोलिया©









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