ग़म-ए-दूनिया से ज़्यादा है मेरा ग़म मग़र फिर भी मूस्कूराता हुँ हैयरत है گمِ دنیا سے زیادہ ہے میرا گم مگر پھر بھی مسکراتا ہوں حیرت ہے रग-ए-जाँ में दिख रहा है अक़्स-ए ग़म सो ग़म-ए-दिल हँस कर छूपाता हुँ हैयरत है رگ جاں میں دکھ رہا ہے عقسِ گم سو گمِ دل ہنس کر چھپتا ہوں حیرت ہے #urdupoetry #Qita Keywords:- रग-ए-जाँ - the jugular vein अक़्स-ए-ग़म - image of sorrow