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लोग अक्सर अपनी सच्चाई देख के सपना देखना सीखते हैं

लोग अक्सर अपनी सच्चाई देख के सपना देखना सीखते हैं ... आज फादर्स डे पर ये पंक्तियाँ समर्पित हैं मेरे पिता जैसे हर उन पिता को जिन्होंने अपने बच्चों को बड़े सपने देखना ही नहीं सिखाया बल्कि अपने सपनों के लिए अपनी ज़िद और मेहनत से अपनी सच्चाई को भी बदल देने की हिम्मत दी और उस पूरी लड़ाई में एक पल भी अपने बच्चों को उन्होंने कभी अकेले नहीं छोड़ा

“कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….
कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखाता है पिता…
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता…
माँ पैरों पे चलना सिखाती है…
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता…..
कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…
कभी निश्छल प्यार तो कभी कड़ी निगरानी है पिता…
माँ अगर है मासूम सी लोरी…
तो जो कभी ना भूल पाएँ वो कहानी है पिता….
कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता…
कभी मौन तो कभी भाषण है पिता…
माँ से अगर घर में रसोई है…
तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता….
कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता…
कभी सभी से छिपी लाचारी है पिता…
माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने…
तो जो अपना सब कुछ परिवार को समर्पित कर दे वो व्यापारी है पिता….
कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता…
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता…
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात…
सब कुछ समेट के आसमान का प्रतिमान है पिता….”
#राज
Happy Father’s Day Papa!!
#ProudDaughter #PapaMadeWoman  #FathersDay
लोग अक्सर अपनी सच्चाई देख के सपना देखना सीखते हैं ... आज फादर्स डे पर ये पंक्तियाँ समर्पित हैं मेरे पिता जैसे हर उन पिता को जिन्होंने अपने बच्चों को बड़े सपने देखना ही नहीं सिखाया बल्कि अपने सपनों के लिए अपनी ज़िद और मेहनत से अपनी सच्चाई को भी बदल देने की हिम्मत दी और उस पूरी लड़ाई में एक पल भी अपने बच्चों को उन्होंने कभी अकेले नहीं छोड़ा

“कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….
कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखाता है पिता…
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता…
माँ पैरों पे चलना सिखाती है…
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता…..
कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…
कभी निश्छल प्यार तो कभी कड़ी निगरानी है पिता…
माँ अगर है मासूम सी लोरी…
तो जो कभी ना भूल पाएँ वो कहानी है पिता….
कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता…
कभी मौन तो कभी भाषण है पिता…
माँ से अगर घर में रसोई है…
तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता….
कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता…
कभी सभी से छिपी लाचारी है पिता…
माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने…
तो जो अपना सब कुछ परिवार को समर्पित कर दे वो व्यापारी है पिता….
कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता…
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता…
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात…
सब कुछ समेट के आसमान का प्रतिमान है पिता….”
#राज
Happy Father’s Day Papa!!
#ProudDaughter #PapaMadeWoman  #FathersDay