ये जो भी चर्चा है, जिक्र है, खबर है सब अख्वाह है कह देंगे दिखाने को। जो भी थोडा सा है एकतर्फाह ही सही क्या पता लगेगा, कौन बताएगा ज़माने को। खामोश है..चुप है ..सन्न है 'लब' उनके भी पूछा किसीने नहीं, निगाहें लगी बताने को निगाहें चुरा के निकल जाते है मुस्का के कभी कभी सब समझते हैं, अब बचा भी क्या जताने को।। ढीठ है, बेशर्म है, कुल मिला के बत्तमीज़ भी फैसला माकूल है हमारा वक़्त नहीं समझाने क़ो गर करे रुस्वा कोई तेरी परछाई को भी मंजूर नहीं दुआ है खुदा की आग लगे ऐसे ज़माने को।। इसलिए चुप है, वरना हज़ार ख्वाब है संग तेरे सजाने को एक छोटी सी लव स्टोरी