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संतोष पावरा लिखित , आदिवासी पावराबोली भाषा

संतोष पावरा लिखित , 
      आदिवासी पावराबोली भाषा में कथा        
 ( इंद्रधनुष्य नी, एकलव्य धनुष्य ..!! )

      इंद्रधनुष्य नही,  एकलव्य धनुष्य...!

प्रकृति का शिष्य शौर्य वीर एकलव्य था 
जिसनें कुत्ते के मुह में सात बाण इस तरह की 
कौशलोंसे चलाया था ,  की कुत्ते को जरा सी भी 
खरोच  न आयी । और कुत्ते का मुह बंद हो गया । 
दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर एकलव्य ही है तो फिर,  
इस  सृष्टि के सात रंगों को इंद्रधनुष्य क्यो कहे ? 
शब्दो का फेर यह तो सबसे बढ़ा षडयंत्र है! 
 इसलिए इन सात रंगों को
 एकलव्य धनुष्य कहना उचित है । क्यौंकि 
 इंद्र का शस्त्र तो वज्र था न  ।पर 
 आदिवासी बच्चे का जन्म हुआ तो
 उसकी नाभी/ नाळा 
तीर से काटने की प्रथा है 
और किसी भी आदिवासी की 
मैयत पर उसकी चिता के साथ
 उसका धनुष्य  बाण  रखना अनिवार्य है 
उस, मरे आदमी के नाम से  हवा में बाण छोडे जातें है
 तब  विधी होती है यह आज भी हमारी  प्रथा है । एकलव्य
संतोष पावरा लिखित , 
      आदिवासी पावराबोली भाषा में कथा        
 ( इंद्रधनुष्य नी, एकलव्य धनुष्य ..!! )

      इंद्रधनुष्य नही,  एकलव्य धनुष्य...!

प्रकृति का शिष्य शौर्य वीर एकलव्य था 
जिसनें कुत्ते के मुह में सात बाण इस तरह की 
कौशलोंसे चलाया था ,  की कुत्ते को जरा सी भी 
खरोच  न आयी । और कुत्ते का मुह बंद हो गया । 
दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर एकलव्य ही है तो फिर,  
इस  सृष्टि के सात रंगों को इंद्रधनुष्य क्यो कहे ? 
शब्दो का फेर यह तो सबसे बढ़ा षडयंत्र है! 
 इसलिए इन सात रंगों को
 एकलव्य धनुष्य कहना उचित है । क्यौंकि 
 इंद्र का शस्त्र तो वज्र था न  ।पर 
 आदिवासी बच्चे का जन्म हुआ तो
 उसकी नाभी/ नाळा 
तीर से काटने की प्रथा है 
और किसी भी आदिवासी की 
मैयत पर उसकी चिता के साथ
 उसका धनुष्य  बाण  रखना अनिवार्य है 
उस, मरे आदमी के नाम से  हवा में बाण छोडे जातें है
 तब  विधी होती है यह आज भी हमारी  प्रथा है । एकलव्य

एकलव्य