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नतीजा क्या,आप कहीं न कहीं तो काम करते ही होंगे।कुछ

नतीजा क्या,आप कहीं न कहीं तो काम करते ही होंगे।कुछ न कुछ तो देश को आपकी आवश्यकता पड़ती ही होगी।
 हो सकता है आप एक शिक्षक हों,मेडिकल वाले हों,दूध वाले हों या कोई न कोई काम जो देशहित में आप करते ही होंगे,तो उस मिलावट के कारण आपका नुकसान क्या हुआ पैसे का,आपके कीमती समय का और आपके शिक्षक होने के कारण बच्चों के अध्ययन का!यहाँ हमारे कोई न कोई महानुभाव अवश्य ही ये पूछ सकते हैं या मजाकिया अंदाज में ये भी अवश्य पूछ सकते हैं कि पैदल भी तो जा सकते थे न,क्योंकि कुछ लोगों को कुछ बातें तब तक गम्भीर नहीं लगती,जबतक वो उसका भुक्तभोगी न हो ,एक व्यक्ति चोट का मतलब तभी समझ  सकता है जब उसे लगे।
कोई परिवार के खोने का दर्द तभी समझ सकता है,जब उसने अपने परिवार को खोया।
किसी को तब तक दूसरे की जेब सिसकती नज़र नहीं आ सकती जब तक उसका जेब न सिसक उठे और यह यथार्थ है।
तभी तो जाली चीजों का व्यापार करने वाले,तेल में,भोजन सामग्री में मिलावट करने वाले तब तक सीख ही नहीं सकते,जब तक उनका कोई बड़ा नुकसान न हो!
चलिए ,अब पैदल तो जा सकते थे न कहने वाले की बेतुकी बात जिन्हें जो महत्वपूर्ण लगती है जवाब दिया जाए:-
पूर्णतः जा सकते थे बंधु,चरण बाबु की गाड़ी पकड़कर या दूसरा भी विकल्प आपने तैयार अवश्य कर लिया होगा:-बस,टेम्पु या अन्य सवारी गाड़ी से जाना।
परन्तु तीनों स्थिति में नुकसान की काफी संभावना थी।तमाम सवारी गाड़ी मुझ अकेले के लिए अपना रास्ता नहीं बदल देती,चरणबाबु से चलकर जाने के थकावट के कारण शिक्षण आधी-अधूरी होती।
कारण कहने में कोई शर्म नहीं हमारा शरीर मिलावट खा-पीकर इतना तगड़ा आज हो चुका है कि दो कदम भी इससे चलना और चल भी लेने की स्थिति में अन्य काम न कर पाना ही संभव हो सकता है,तो पूरे तथ्यों पर गौर करें तो हर तरफ से हमने देश के विकास यात्रा को प्रभावित किया ही किया।
अब मिलावटी पेट्रॉल की स्थिति में उस जगह गाड़ी का अचानक बंध हो जाना जहाँ बस स्वर्गारोहण ही संभव है,तो वहाँ भी एक नुकसान संभव।उस व्यक्तित्व के परिवार के द्वारा उसे बचाने की भरसंभव प्रयत्न,धन नुकसान जो कि अभी आवश्यक न हो पाता यदि उसे मिलावटी पेट्रॉल देकर ठगा नहीं जाता ,सारांश जिस तरह से होगा नुकसान देश का।
(३) अब आते हैं हैकर-हैकर गैम,इसे गाने से समझते हैं:-
एक ने एक को कॉल भरसक किया,
उस समय वो नहीं जब यारों फोन पे मिला।
फिर एक ने की कोशिशें और वो सफल हो गया।
बताया एक ने एक को आपका खाता फ्रीज हो गया,बेचारा एक अब ठगा गया....
अब शेष उसके पास बचा रोना-धोना,चिल्लाना .....
तो विकास यात्रा तो तीव्र होनी ही चाहिए थी।
अब मेरा बच्चा बीमार है कोई मदद करें,फेक फोटो अधिकतर।कोई संवेदना प्रकट किया और फँस गया हैकर के झाँसे में तो उम्मीद क्या की जा सकती है विकसित की या विकाशशील की!!!
यहाँ नुकसान तो तब होता है,एक और पोस्टर,फोटो साझा की जाती है जिसमें समस्या वास्तव में ही रहती है,पहले हुए धोखे के कारण अब अगले को कोई सहायता मिलने से रही और वह सहायता न मिलने के कारण वह एक अपराधी बनकर उभर आएगा,जहाँ वह देश के विकाश यात्रा में सहायक होता,वह अब बाधक बनकर उभरेगा ही,तो सोचिए क्या विकाशशील होना इन तथ्यों पर केन्द्रित नहीं।
सादर आभार

©Bharat Bhushan pathak #क्योंविकसितनहींविकाशशीलहैंहम भाग-२
नतीजा क्या,आप कहीं न कहीं तो काम करते ही होंगे।कुछ न कुछ तो देश को आपकी आवश्यकता पड़ती ही होगी।
 हो सकता है आप एक शिक्षक हों,मेडिकल वाले हों,दूध वाले हों या कोई न कोई काम जो देशहित में आप करते ही होंगे,तो उस मिलावट के कारण आपका नुकसान क्या हुआ पैसे का,आपके कीमती समय का और आपके शिक्षक होने के कारण बच्चों के अध्ययन का!यहाँ हमारे कोई न कोई महानुभाव अवश्य ही ये पूछ सकते हैं या मजाकिया अंदाज में ये भी अवश्य पूछ सकते हैं कि पैदल भी तो जा सकते थे न,क्योंकि कुछ लोगों को कुछ बातें तब तक गम्भीर नहीं लगती,जबतक वो उसका भुक्तभोगी न हो ,एक व्यक्ति चोट का मतलब तभी समझ  सकता है जब उसे लगे।
कोई परिवार के खोने का दर्द तभी समझ सकता है,जब उसने अपने परिवार को खोया।
किसी को तब तक दूसरे की जेब सिसकती नज़र नहीं आ सकती जब तक उसका जेब न सिसक उठे और यह यथार्थ है।
तभी तो जाली चीजों का व्यापार करने वाले,तेल में,भोजन सामग्री में मिलावट करने वाले तब तक सीख ही नहीं सकते,जब तक उनका कोई बड़ा नुकसान न हो!
चलिए ,अब पैदल तो जा सकते थे न कहने वाले की बेतुकी बात जिन्हें जो महत्वपूर्ण लगती है जवाब दिया जाए:-
पूर्णतः जा सकते थे बंधु,चरण बाबु की गाड़ी पकड़कर या दूसरा भी विकल्प आपने तैयार अवश्य कर लिया होगा:-बस,टेम्पु या अन्य सवारी गाड़ी से जाना।
परन्तु तीनों स्थिति में नुकसान की काफी संभावना थी।तमाम सवारी गाड़ी मुझ अकेले के लिए अपना रास्ता नहीं बदल देती,चरणबाबु से चलकर जाने के थकावट के कारण शिक्षण आधी-अधूरी होती।
कारण कहने में कोई शर्म नहीं हमारा शरीर मिलावट खा-पीकर इतना तगड़ा आज हो चुका है कि दो कदम भी इससे चलना और चल भी लेने की स्थिति में अन्य काम न कर पाना ही संभव हो सकता है,तो पूरे तथ्यों पर गौर करें तो हर तरफ से हमने देश के विकास यात्रा को प्रभावित किया ही किया।
अब मिलावटी पेट्रॉल की स्थिति में उस जगह गाड़ी का अचानक बंध हो जाना जहाँ बस स्वर्गारोहण ही संभव है,तो वहाँ भी एक नुकसान संभव।उस व्यक्तित्व के परिवार के द्वारा उसे बचाने की भरसंभव प्रयत्न,धन नुकसान जो कि अभी आवश्यक न हो पाता यदि उसे मिलावटी पेट्रॉल देकर ठगा नहीं जाता ,सारांश जिस तरह से होगा नुकसान देश का।
(३) अब आते हैं हैकर-हैकर गैम,इसे गाने से समझते हैं:-
एक ने एक को कॉल भरसक किया,
उस समय वो नहीं जब यारों फोन पे मिला।
फिर एक ने की कोशिशें और वो सफल हो गया।
बताया एक ने एक को आपका खाता फ्रीज हो गया,बेचारा एक अब ठगा गया....
अब शेष उसके पास बचा रोना-धोना,चिल्लाना .....
तो विकास यात्रा तो तीव्र होनी ही चाहिए थी।
अब मेरा बच्चा बीमार है कोई मदद करें,फेक फोटो अधिकतर।कोई संवेदना प्रकट किया और फँस गया हैकर के झाँसे में तो उम्मीद क्या की जा सकती है विकसित की या विकाशशील की!!!
यहाँ नुकसान तो तब होता है,एक और पोस्टर,फोटो साझा की जाती है जिसमें समस्या वास्तव में ही रहती है,पहले हुए धोखे के कारण अब अगले को कोई सहायता मिलने से रही और वह सहायता न मिलने के कारण वह एक अपराधी बनकर उभर आएगा,जहाँ वह देश के विकाश यात्रा में सहायक होता,वह अब बाधक बनकर उभरेगा ही,तो सोचिए क्या विकाशशील होना इन तथ्यों पर केन्द्रित नहीं।
सादर आभार

©Bharat Bhushan pathak #क्योंविकसितनहींविकाशशीलहैंहम भाग-२