कागज की कश्ती थी, पानी का किनारा था खेलने की मस्ती थी, ये दिल आवारा था ।। कहा आ गए समझदारी की दलदल में वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था ।। नादान बचपन Kumar Gaurav Singh love quotes