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"गीत" "पुरानी यादें" मिले सब जगत में पर तुम सा ना

"गीत"
"पुरानी यादें"

मिले सब जगत में पर तुम सा ना कोई।२।
आंसू बहते हैं याद तुमको करके,
चल रही है सांसे पर चोटो को सहके।२।
हो रहा है कष्ट मुझ बिन इस जिगर को मालूम हैं,
अभी चल रही है सांस फिर मिलूंगा मरके।२।
खिले फूल पर खुशबू लगती खोई खोई,
मिले सब जगत में पर तुम सा ना कोई। 

याद है अब भी हाथों वाला झूला,
गुजरे हुआ वर्षों फिर भी ना भूला।२।
खुद बिक जाते थे मेलों में हंसकर,
कहते थे ना अब रोओ खिलौना है पूरा।२।
गुजरे हो जब से लगती महेफिल सोई सोई,
मिले सब जगत में पर तुम सा ना कोई।

गिरते हुए का तुम बने थे सहारा,
भीगूँ न जल से तुम बने छत हमारा।२।
दुनिया कहे तो कहे कहते अपने रिश्तेदार,
गुजर तुम गए मुझको कर बेसहारा।२।
आंसू छुपाऊं फिर भी आंख लगती धोई,
मिले सब जगत में पर तुम सा ना कोई।

"सुधांशु पांड़े" #sudhanshupandey#
editor vishal pandey.
"गीत"
"पुरानी यादें"

मिले सब जगत में पर तुम सा ना कोई।२।
आंसू बहते हैं याद तुमको करके,
चल रही है सांसे पर चोटो को सहके।२।
हो रहा है कष्ट मुझ बिन इस जिगर को मालूम हैं,
अभी चल रही है सांस फिर मिलूंगा मरके।२।
खिले फूल पर खुशबू लगती खोई खोई,
मिले सब जगत में पर तुम सा ना कोई। 

याद है अब भी हाथों वाला झूला,
गुजरे हुआ वर्षों फिर भी ना भूला।२।
खुद बिक जाते थे मेलों में हंसकर,
कहते थे ना अब रोओ खिलौना है पूरा।२।
गुजरे हो जब से लगती महेफिल सोई सोई,
मिले सब जगत में पर तुम सा ना कोई।

गिरते हुए का तुम बने थे सहारा,
भीगूँ न जल से तुम बने छत हमारा।२।
दुनिया कहे तो कहे कहते अपने रिश्तेदार,
गुजर तुम गए मुझको कर बेसहारा।२।
आंसू छुपाऊं फिर भी आंख लगती धोई,
मिले सब जगत में पर तुम सा ना कोई।

"सुधांशु पांड़े" #sudhanshupandey#
editor vishal pandey.