भक्ति की ज्योति तुम्हें मन्दिर में ढूंढा ढूँढ़ा, तुम्हें मेहफिल में ढूंढ़ा | तुम्हें पहाड़ो में खोजा, तुम्हें बारिश रूपी बूंदों में तलाशा | जहाँ भी खोजः , वहां निराशा ही पाया पाया| अखियां अखियन से नीर बहत बहट है , मुख से तोहरी तोहरी नाम निकलत है | मोह बावड़ी होवत जाऊ हूँ , संसार मोहे कहन लागो| मैं बावड़ी दर्शन की पियासी पियासी , न जाने कब पियास मुझत मुझत हमारी | ...कवि सोनू भक्ति की ज्योति