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मेरी शक्ल ओ सूरत से मत जान मुझको मेरे शेर से बस पह

मेरी शक्ल ओ सूरत से मत जान मुझको
मेरे शेर से बस पहचान मुझको

किसी और से इश्क करने लगा है
तो किस हक से कहता है तू जान मुझको

कभी मुझ पर भी कोई नज़्म लिखी है
लिखी है तो बता उसका उन्मान मुझको

तुझे फिर किसी से मोहब्बत हुई है
तेरी बातें करती है हैरान मुझको

तेरी मीठी बातें ज़रा सी तवज्जो
नहीं चाहिए तेरा अहसान मुझको

तुझे मैंने उसकी जगह रख दिया है
माफ़ी नहीं देगा भगवान मुझको

फकत अपनी तकलीफ़ दिखती है तुझको
कभी तू समझता है इंसान मुझको
सपना मूलचंदानी

©Vikrant Gautam #मुझको
मेरी शक्ल ओ सूरत से मत जान मुझको
मेरे शेर से बस पहचान मुझको

किसी और से इश्क करने लगा है
तो किस हक से कहता है तू जान मुझको

कभी मुझ पर भी कोई नज़्म लिखी है
लिखी है तो बता उसका उन्मान मुझको

तुझे फिर किसी से मोहब्बत हुई है
तेरी बातें करती है हैरान मुझको

तेरी मीठी बातें ज़रा सी तवज्जो
नहीं चाहिए तेरा अहसान मुझको

तुझे मैंने उसकी जगह रख दिया है
माफ़ी नहीं देगा भगवान मुझको

फकत अपनी तकलीफ़ दिखती है तुझको
कभी तू समझता है इंसान मुझको
सपना मूलचंदानी

©Vikrant Gautam #मुझको