डर लगता उस प्यार से, जो हो तो बेइंतहा, पर एक तरफा, विडंबना कुछ समाज की हमारी, जो उसको समझा ना पाया, कि ना का मतलब ना होता| @रुचि झा #एक_तरफा_प्यार