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मुझे सागर सी गहराई पसंद है प्यार मे, और तुम हो की

मुझे सागर सी गहराई पसंद है प्यार मे,
और तुम हो की रेत की तरह
हाथों से निकलते जा रहे है।
क्या करुँ जाने दूँ तुमको,
या कोई भी जतन कर रोक लूँ।
है प्रेम तुम्हारा रेत सा
आज नहीं तो कल मुझसे छूट जाओगे,
है प्रेम मेरा बंधन तुम्हारे लिए,
बोलो कैसे तुम रुक पाओगे।
जिस प्रीत की गहराई से
तुमको चाहा है,
कैसे तुम अनुमान लगा पाओगे ।
है प्रेम मेरा सागर सा गहरा,
बोलो क्या तुम मुझको समझ पाओगे।।

©Ruchika Shrivastava #Doobey #deep_love_one_side #One_sided_love
मुझे सागर सी गहराई पसंद है प्यार मे,
और तुम हो की रेत की तरह
हाथों से निकलते जा रहे है।
क्या करुँ जाने दूँ तुमको,
या कोई भी जतन कर रोक लूँ।
है प्रेम तुम्हारा रेत सा
आज नहीं तो कल मुझसे छूट जाओगे,
है प्रेम मेरा बंधन तुम्हारे लिए,
बोलो कैसे तुम रुक पाओगे।
जिस प्रीत की गहराई से
तुमको चाहा है,
कैसे तुम अनुमान लगा पाओगे ।
है प्रेम मेरा सागर सा गहरा,
बोलो क्या तुम मुझको समझ पाओगे।।

©Ruchika Shrivastava #Doobey #deep_love_one_side #One_sided_love