पंछी उड़ रहा है गगन गगन में उड़ रहे हैं है पंछी अपने मगन मगन में गगन उसका है चमन उसका है जहां तक भी उड़ना है आसमान उसका है पंछी आकाश में अपनी धुन में गुनगुना रहे हैं खुले आसमान में तरंगे गा रहे हैं अपनी मधुर मीठी मीठी लय से दिन की शुरुआत का मंगल गीत गाकर सारे जग को जगा रहे हैं #-गुडविन-#