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“बात मेरे बचपन की है, लगभग 10-12 साल पहले। उन दिनो

“बात मेरे बचपन की है, लगभग 10-12 साल पहले। उन दिनों मुझे साइकिल चलाने का बड़ा शौक था।
घर पर फिल्मी गानों पर रोक थी और फिल्में देखने पर तो फांसी हो जाए ऐसा प्रावधान था। घर पर टेप रिकॉर्डर था तो लेकिन गाने कम ही बजते थे और कभी बजते भी थे तो देशभक्ति और भजन ही बजा करते थे।
मुझे इतना बड़ा चस्का लग चुका था देशभक्ति गानों का कि एक बार साइकिल से अकेले बाज़ार गया हुआ था... 14 या 15 अगस्त का दिन था... गर्मी भी बहुत थी... रास्ते से गुजरते हुए एक पंचर बनाने वाली दुकान के रेडियो पर एक गाना चल रहा था, “ऐ मेरे वतन के लोगों”। फिर क्या था उस भरी दोपहर में पसीने से डूबा हुआ उस दुकान के बाहर तब तक खड़ा रहा जब तक गाना खत्म नहीं हो गया।
ये था मेरा उस वक़्त पागलपन देश के लिए जो आज तक कायम है।” Collab with YourQuote Didi 
#हिंदी #लघुकथा #faujikealfaaz #kuldeepsharma #ballpen #yqdidi
“बात मेरे बचपन की है, लगभग 10-12 साल पहले। उन दिनों मुझे साइकिल चलाने का बड़ा शौक था।
घर पर फिल्मी गानों पर रोक थी और फिल्में देखने पर तो फांसी हो जाए ऐसा प्रावधान था। घर पर टेप रिकॉर्डर था तो लेकिन गाने कम ही बजते थे और कभी बजते भी थे तो देशभक्ति और भजन ही बजा करते थे।
मुझे इतना बड़ा चस्का लग चुका था देशभक्ति गानों का कि एक बार साइकिल से अकेले बाज़ार गया हुआ था... 14 या 15 अगस्त का दिन था... गर्मी भी बहुत थी... रास्ते से गुजरते हुए एक पंचर बनाने वाली दुकान के रेडियो पर एक गाना चल रहा था, “ऐ मेरे वतन के लोगों”। फिर क्या था उस भरी दोपहर में पसीने से डूबा हुआ उस दुकान के बाहर तब तक खड़ा रहा जब तक गाना खत्म नहीं हो गया।
ये था मेरा उस वक़्त पागलपन देश के लिए जो आज तक कायम है।” Collab with YourQuote Didi 
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